शब्द एजिंग यानि बूढ़ापा का नाम लेते ही आपके दिमाग में आमतौर से सफेद बाल, याददाश्त की कमजोरी और अकेलेपन के शिकार बुजुर्ग की छवि प्रकट होती है हालांकि एजिंग की सभी निराशाजनक दशायें वास्तव में सत्य नहीं हैं क्योकि एजिंग का अर्थ है खुद को मेच्योर होना, अनुभवों से समृद्ध होना, बुद्धिमत्ता और समग्र रूप में जीवन की बेहतर समझ होना भी होता है।
एजिंग को अभिशाप मानने के बजाय इसे जीवन का ऐसा स्तर मानें जो आपके विकास के शुरूआती वर्षों की तरह ही खूबसूरत हो सकता है। "एजिंग का सामना" मत करें बल्कि एजिंग के इस चरण को सम्मान और बड़प्पन की भावना के साथ महसूस करें। आपका जेनेटिक मेक-अप और सभी तरह के पर्यावरणीय खतरों का असर होने की संभावनाएं समय से पहले प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बन जाती हैं, इस तरह से अपनी लाइफस्टाईल में कुछ बदलाव लाकर आप एजिंग प्रक्रिया को एक खुशनुमा अनुभव में तब्दील कर सकते हैं।
लाइफस्टाईल में स्वास्थ्यप्रद बदलाव और आहार पर ध्यान देने से, एन्टिऑक्सीडेंट्स से भरपूर खान-पान से एजिंग प्रक्रिया देर से शुरू हो सकता है। हरी चाय और हल्दी के अलावा फल और सब्जियां एन्टिऑक्सीडेंट्स के अच्छे स्रोत हैं। एन्टिऑक्सीडेंट्स न केवल एजिंग को देर से शुरू करने में सहायक हैं बल्कि कैंसर तथा अन्य बीमारियों की रोकथाम भी करते हैं। हमारी उम्र बढ़ने के साथ कम फैट और फाईबर से भरपूर खान-पान आदर्श माना जाता है। प्रदूषित वातावरण, स्मोकिंग, सूरज की एक्स-रे और अल्ट्रावायलेट किरणें से अपने को बचाव करे।
एक्सरसाइज रूटीन अपनाने से एजिंग देर से शुरू हो पाती है क्योंकि एक्सरसाईजेज हृदय का भी व्यायाम कराती हैं जिससे हृदय का स्वास्थ्य बेहतर होता है और दिमाग में अधिक पम्प किया जाने वाला रक्त मेमोरी, मूड और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। शारीरिक व्यायाम मूड बूस्टर की तरह काम करके तनाव से राहत देती हैं क्योंकि एक्सरसाईजिंग के दौरान मस्तिष्क अधिक एंडार्फिन रिलीज करता है जो "हैप्पी हार्मोन्स" होते हैं और जो मनुष्य को युवा रखते हैं। वॉकिंग, स्विमिंग, लाइट वेट ट्रेनिंग और योगा जैसी एक्सरसाईजेज किसी अन्य व्यायाम की तरह खूब लाभदायक साबित होती हैं।
एजिंग के अनिवार्य बदलावों को स्वीकार करें और अपने मन को अनावश्यक तनाव से मुक्त रखें। तनाव डीएनए को नुकसान पहुंचाते हुए एजिंग प्रक्रिया को तेज करता है और टिश्युओं को डैमेज करने का कारण बनता है।
जीवन की अनिश्चितता या अधिक उम्र को अपने पर हावी न होने दें ताकि जिंदगी तनावग्रस्त होने से बची रह सके। उम्र के साथ होने वाले बदलावों का अनुमान लगायें। उम्र के साथ होने वाले शारीरिक बदलाव, लाइफस्टाईल में बदलाव, रिश्तों में बदलाव के लिए खुद को इनके लिये मानसिक रूप से तैयार करें। परिवार और मित्रों में एक मज़बूत सोशल सपोर्ट नेटवर्क तैयार करें जो आपको इमोशनल सपोर्ट में साथ दे।
आज के दौर में पारिवारिक रिश्ते बदल गये हैं और बुजुर्ग अभिभावकों को अनेक परिवारों में बोझ माना जाने लगा है इसलिये यह ज़रूरी हो गया है कि आप अपना अच्छा स्वास्थ्य मेन्टेन करके रखे, अपनी आर्थिक सुरक्षा मज़बूत करके और अपना सामाजिक दायरा विकसित करके अपने इंचार्ज आप खुद बनें।
आप नयी चीजें सीखें, खुद को ऐसी गतिविधियों में लगायें ताकि नयी चीजें सीखते हुए, पहेलियों को सुलझाते हुए आपके दिलोदिमाग को नयी ऊर्जा मिले।