पीरियड के बिना भी प्राइवेट पार्ट से खून क्यों आता है?



पीरियड्स होने वाले थे. पेट में दर्द शुरू हो गया था. मूड खराब रहने लगा था. पर जब भी वो चेक करती तो उसे सिर्फ ब्लड स्पॉटिंग दिखती. पीरियड के दौरान आम तौर पर जितनी ब्लीडिंग होती है, उतनी स्पॉटिंग में नहीं होती. पर इसका मतलब ये नहीं कि तीन दिन के अंदर स्पॉटिंग खत्म हो जाती है. ये हफ्ता से लेकर महीने तक चलती है. जब डॉक्टर के पास गई तो पता चला यह हॉर्मोन्स की उथल-पुथल की वजह से हो रहा था.
वैसे, औरतों के शरीर में होने वाले बदलावों के पीछे ज़्यादातर हॉर्मोन्स ही ज़िम्मेदार होते हैं. पर स्पॉटिंग के पीछे बस यही एक वजह नहीं है. और भी कारण हैं. जैसे:
1. गड़बड़ पीरियड साइकिल
जब आपकी ओवरी समय पर अपना काम नहीं कर पाती तो आपको इर्रेगुलर पीरियड होते हैं. और वक्त पर अंडा न बना पाता है.  जब अंडा नहीं बनता तो हॉर्मोन्स में इम्बेलेंस आ जाता है. और उसकी वजह से होती है स्पॉटिंग. अक्सर ऐसा तब भी होता है जब लड़कियों को पीरियड्स होना एकदम शुरू हुआ होता है. या फिर मेनोपॉज के समय.

 


2. हो सकता है इसमें आपकी गर्भनिरोधक गोली का हाथ हो
अगर आपके पीरियड्स शुरू हुए समय हो गया है तो आपकी दिक्कत की  एक वजह है आपकी बर्थ कंट्रोल पिल्स. वैसे भी इन पिल्स की वजह से आपके नॉर्मल हॉर्मोन्स पागल हो जाते हैं. इन सबका नतीजा होता है स्पॉटिंग. खासतौर पर तब, जब आपने नई-नई पिल्स खानी शुरू की होती है, बदली होती है, या मिस कर दी होती है. अगर आप ऐसी कोई पिल खा रही हैं जिसमें एस्ट्रोजेन की मात्रा कम है तो स्पॉटिंग होगी. एस्ट्रोजेन वो हॉर्मोन है जिसकी वजह से आपके गर्भाशय के अंदर बनी परत वहीँ टिकी रहती है. जब भी एस्ट्रोजेन का लेवल आपके शरीर में ऊपर नीचे होगा तो स्पॉटिंग होगी.
3. स्ट्रेस थोड़ा कम लीजिए
 जब आप स्ट्रेस लेती हैं तो आपके शरीर में कोर्टिसोल नाम का एक हॉर्मोन बनता है. काफ़ी ज़्यादा मात्रा में. इस समय आपके बाकी हॉर्मोन्स, जो पीरियड्स होने में मदद करते हैं, जैसे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेबरॉन, वो कम बनने लगते हैं. इस वजह से स्पॉटिंग होती है.
4. आपको कोई इन्फेक्शन या चोट भी हो सकती है
गर्भाशय के एंट्री को सर्विक्स कहते हैं. ये बहुत नाज़ुक होती है. अगर आपको यहां कोई अंदरूनी चोट लग जाए तो इसमें ब्लीडिंग होती है. कुछ औरतों को ये ब्लीडिंग दूसरों के मुकाबले ज़्यादा होती है. कई बार सेक्स या डॉक्टर के टेस्ट की वजह से यहां चोट लग जाती है. ऐसा भी हो सकता है कि स्पॉटिंग चोट लगने के फौरन बाद हो जाए या कुछ समय बाद.साथ की सेक्स की वजह से होने वाले इन्फेक्शन जैसे क्लैमाइडिया वगैरह की वजह से भी स्पॉटिंग होती है.
5. हो सकता वही आप प्रेगनेंट हों
कुछ औरतों को ऑवयूलेशन के दौरान स्पॉटिंग होती है. ऑवयूलेशन उस समय को कहते हैं जब अंडाशय से अंडे बाहर आते हैं. ये ज़्यादातर पीरियड्स के दौरान ही होता है. पर कुछ औरतों में ये प्रेगनेंसी के बिल्कुल शुरुआती दौर में होता है.
ऑवलूशन के एक हफ्ते बाद, जो अंडा स्पर्म के साथ मिल चुका है वो गर्भाशय की वॉल से जाकर जुड़ जाता है. इस प्रोसेस के दौरान हल्की सी ब्लीडिंग होती है. ये देखने में स्पॉटिंग जैसा ही होता है. पर अगर आप प्रेगनेंट हैं और आपको हल्की ब्लीडिंग हो रही है तो घबराइए मत. ऐसा होना नॉर्मल है.

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